नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 24
नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 24
0 Vote
104 View
नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 24 '' मुझे अपनी ज़िन्दगी की क़सम! मैं हक़ के खिलाफ़ चलने वालों और गुमराही में भटकने वालों से जंग में किसी क़िस्म की रु रिआयत और सुस्ती नहीं करुंगा। अल्लाह के बन्दो ! अल्लाह से डरो और उस के ग़ज़ब (क्रोध) से भाग कर उस के दामने रहमत में पनाह (शरण) लो। अल्लाह की दिखाई हुई राह पर चलो और उस के आइद कर्दा अहकाम को बजा लाओ (अगर ऐसा हो तो) अली तुम्हारी नजाते उखूरवी का ज़ामिन है। अगरचे दुन्यवी कामरानी (सफ़लता) तुम्हें हासिल (प्राप्त) न हो ।'' rizvia.net